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परम पूज्य अंतरराष्ट्रीय श्री रंगरामानुज पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य डॉ. स्वामी श्री श्रीधराचार्य जी महाराज

परम पूज्य डॉ. स्वामी श्री श्रीधराचार्य जी महाराज अंतरराष्ट्रीय श्री रंगरामानुज पीठ के पीठाधीश्वर एवं श्रीवैष्णव परंपरा के एक प्रतिष्ठित आचार्य हैं। आप भगवान श्रीरामानुजाचार्य जी की दिव्य परंपरा के संवाहक हैं और अपने जीवन को सनातन धर्म, भक्ति, सेवा एवं वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित कर चुके हैं। आपकी वाणी, विचार और कार्य न केवल भारतवर्ष में बल्कि विश्व के अनेक देशों में भक्तों को धर्म, ज्ञान और सेवा के मार्ग पर प्रेरित कर रहे  हैं।

महाराज जी ने आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ वैदिक परंपरा में भी विशिष्टता प्राप्त की है। आपने कंप्यूटर विज्ञान में मास्टर डिग्री  ( स्नातकोत्तर )की उपाधि प्राप्त की है , साथ ही साथ श्रीभाष्य, वेदांत, उपनिषद  पुराण आदि शास्त्रों में गहन अध्ययन किया। आप DNYS (प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान में डिप्लोमा), पंचगव्य चिकित्सा में MD, और एक्युप्रेशर चिकित्सा में भी MD की डिग्री धारक हैं। इस अनूठे समन्वय से आप विज्ञान और अध्यात्म को जोड़ते हुए जनकल्याण की दिशा में निरंतर कार्यरत हैं।

पूज्य स्वामी जी श्रीमद्भागवत कथा, राम कथा, वेदांत और उपनिषदों के माध्यम से भक्ति, ज्ञान और धर्म का प्रचार कर रहे हैं ।आपके आध्यात्मिक प्रवचनों, जैसे श्रीमद्भागवत कथा, रामकथा और ध्यान साधना शिविरों के माध्यम से हजारों लोग धर्म, भक्ति, सेवा और आत्मज्ञान की ओर आकर्षित हो रहे हैं। आपकी सरल, मधुर और ओजस्वी वाणी से धर्म की गूढ़ बातें सहजता से समझ में आती हैं, जिससे साधारण गृहस्थ भी जीवन में अध्यात्म को आत्मसात कर पा रहे हैं।

   पूज्य स्वामी जी के मार्गदर्शन में हजारों लोग योग, क्रिया योग और ध्यान साधना द्वारा तनाव मुक्त जीवन जीने की कला सीख रहे हैं। वे विश्वशांति, धार्मिक सौहार्द और मानवता के कल्याण के लिए कार्यरत हैं, जिससे समाज में प्रेम और भाईचारा स्थापित हो सके।

परम पूज्य स्वामी जी के मार्गदर्शन में अंतरराष्ट्रीय श्री रंगरामानुज पीठ द्वारा आध्यात्मिक शिक्षा, गौसेवा, अन्नदान, गरीबों के लिए चिकित्सा सहायता, पर्यावरण संरक्षण और वेद-विज्ञान के प्रचार का कार्य किया जा रहा है। वेदों और सनातन धर्म की दिव्य शिक्षाओं को आधुनिक समाज तक पहुँचाने के लिए वे पूरी निष्ठा से कार्य कर रहे हैं। उनका संकल्प है कि हर व्यक्ति प्रेम, सेवा और भक्ति के मार्ग पर चलकर एक संतुलित और सुखमय जीवन जी सके आप ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत को जीवन में चरितार्थ करते हुए संपूर्ण समाज को एक परिवार के रूप में देखते हैं।

आपका यह सतत प्रयास है कि समाज में धर्म, सेवा, स्वास्थ्य और शिक्षा के माध्यम से संतुलित और आत्मिक उन्नति हो। आपकी प्रेरणा से अनेक युवा भी धर्म मार्ग की ओर उन्मुख हो रहे हैं और सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बना रहे हैं

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